Thursday, December 4, 2008

खतरे की घंटी हैं सैटेलाइट फोन्स

खतरे की घंटी बजा रहे हैं सैटेलाइट फोन्स

आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के तौर-तरीकों ने एक बार फिर यह साबित किया है कि आतंकी इन हमलों में तकनीक का जमकर फायदा उठा रहे हैं। इन हमलों में शामिल आतंकवादी सैटेलाइट फोन के जरिये अपने आकाओं के साथ बेरोक-टोक साजिश रच रहे थे।

हर नए आतंकवादी हमले में आतंकवादियों के ज्यादा से ज्यादा टेक फ्रेंडली होने के सुबूत मिल रहे हैं। आतंकवादियों के पास हथियार और गोला-बारूद के अलावा गूगल मैप, जीपीएस लोकेटर और सैटेलाइट फोन भी हैं

सैटेलाइट फोन को आम मोबाइल फोन की तरह न तो जाम किया जा सकता है और न ही इसकी टैपिंग आसानी से मुमकिन है। यह आसानी से इंटरसेप्ट नहीं किया जा सकता है।


क्या बला है सैटेलाइट फोन?

सैटेलाइट फोन का कनेक्शन सीधा सैटेलाइट से होता है, न कि सेल्युलर नेटवर्क से। आसान शब्दों में कहें तो यह फोन सेल्युलर या लैंडलाइन टावर्स के बजाय सीधे सैटेलाइट के जरिये कॉल रिसीव करता और भेजता है।

सैटेलाइट फोन की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसके जरिये दुनिया के किसी भी कोने से कॉल की या रिसीव की जा सकती है, बशर्ते सैटेलाइ ऑपरेटर वह नेटवर्क मुहैया कराते हों। हालांकि, प्रमुख सैटेलाइट फोन नेटवर्क ऑपरेटर समुद्र और रेगिस्तान समेत पूरी धरती पर नेववर्क सर्विस मुहैया कराते हैं।


कौन हैं सैटेलाइट फोन प्रवाइडर्स

सैटेलाइट नेटवर्क ऑपरेटर कंपनियों में इरिडियम, ग्लोबलस्टार, इनमरसैट और मिड्लइस्ट की कंपनी थुरैया शामिल हैं।

इरिडियम का नेटवर्क समुद्री इलाकों समेत पूरी दुनिया में काम करता है, जबकि ग्लोबलस्टार 100 से ज्यादा देशों में सर्विस मुहैया कराती है। इसके अलावा समुद्री इलाकों में भी ग्लोबलस्टार की सर्विस उपलब्ध है। ग्लोबलस्टार का नेटवर्क उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव समेत धरती के 80 परसेंट हिस्से पर उपलब्ध है।

थुरैया सस्ती सैटेलाइट बेस्ड टेलिफोन सर्विस मुहैया कराती है और इसका नेवटर्क ग्लोब के एक तिहाई हिस्से को कवर करता है। इन इलाकों में भारत समेत एशिया, अफ्रीका, पूरा मिड्ल ईस्ट औऱ यूरोप शामिल है।

इनमरसैट मोबाइल फोन और डेटा कम्यूनिकेशंस की सुविधा दुनिया के हर हिस्से में पहुंचाती है। इसके सैटलाइट लंदन स्थित कंपनी के हेडक्वॉर्टर से नियंत्रित होते हैं। साथ ही सैटेलाइट फोन के जरिये इंटरनेट की सुविधा मुहैया कराने के लिए कुछ सैटेलाइट नेटवर्क्स ने सेल्युलर जीएसएम नेटवर्क्स से समझौता किया है।


भारत क्यों नहीं निगरानी रख पाता है सैटेलाइट फोनों पर?

मोबाइल फोन की तरह सैटेलाइट फोन के डेटा को भारत में ट्रैक करना मुमकिन नहीं है। इसकी प्रमुख वजह यह है कि भारत में किसी भी सैटेलाइट फोन नेटवर्क ऑपरेटर का सेंटर नहीं है। चूंकि ये फोन सैटेलाइट से संचालित होते हैं और ऑपरेटर को कनवेक्विटी के लिए भारत के किसी घरेलू नेटवर्क की जरूरत नहीं होती, इसके जरिये होने वाली बातचीत के बारे में पता नहीं किया जा सकता।

यह समस्या इसलिए है कि भारत सैटेलाइट फोन के लिए कर्मशियल लाइसेंस नहीं मुहैया कराता है। हालांकि इनमरसैट के सैटेलाइट फोन टाटा कम्यूनिकेशंस के जरिये उपलब्ध हैं, लेकिन यह सिर्फ सिक्योरिटी और सरकारी एजेंसियों को बेचा जाता है।


कैसे निपटा जा सकता है इस समस्या से?

सैटेलाइट फोन के जरिये होने वाली बातचीत पर निगरानी रखने के लिए सरकार कुछ मेकेनिज्म बना सकती है। मुंबई हमले की गुत्थी सुलझाने में सैटेलाइट फोन के सुबूत को काफी अहम माना जा रहा है। इसे देखते हुए कहा जा सकता है कि सैटेलाइट फोन के जरिए होने वाली बातचीत पर निगरानी रखने के लिए सरकार को कदम उठाने की जरूरत है।

सैटेलाइन फोन का गलत इस्तेमाल रोकने के लिए इस फोन के लिए लाइसेंस देने वाले देश या संबंधित फोन ऑपरेटर की सहायता ली जा सकती है। इसके अलावा देश का निगरानी तंत्र सैटेलाइट कम्यूनिकेशंस पर नजर रखने के लिए दूसरे देशों द्वारा अपनाए गए तौर-तरीकों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है।