Monday, November 17, 2008

हॉटेस्ट टचस्क्रीन फोन

हॉटेस्ट टचस्क्रीन फोन


आईफोन के दीवाने भले ही इसकी स्टाइल, फीचर्स और नेविगेशन के लिए पैसे खर्च करने को तैयार हों, लेकिन इसका खास फीचर टचस्क्रीन ही इसे सच्चा ट्रेंडसेटर बनाता है। एपल के मुखिया स्टीव जॉब्स के यह ऐलान करते ही कि उनकी कंपनी का पहले मोबाइल डिवाइस में टचस्क्रीन होगा, पूरी मोबाइल इंडस्ट्री में इसका क्रेज शुरू हो गया। भारतीय बाजारों में भी टचस्क्रीन फोन का आगाज हो चुका है। एचटीसी से लेकर सैमसंग तक सभी कंपनियों ने भारतीय कस्टमरों के लिए टचस्क्रीन फोन पेश किया है। यह फोन उन लोगों के लिए भी बढ़िया विकल्प साबित हो रहा है, जिनके लिए 3जी आईफोन महंगा साबित हो रहा है।




सैमसंग ओमनिया i900

भारत में आईफोन इफेक्ट से मुकाबले के लिए कोरियाई कंपनी सैमसंग ने आईफोन के जैसा दिखने वाला टचस्क्रीन फोन सैमसंग ओमनिया i900 लॉन्च किया है। यह टचस्क्रीन स्मार्टफोन 5 मेगापिक्सल कैमरा, वाई-फाई और इन बिल्ट जीपीएस आदि तकनीकों से लैस है।


इस फोन का डिस्प्ले 3.2 इंच का है, जिसका रिजॉल्यूशन 240X400 पिक्सल है। आईफोन की तरह ओमनिया का मकसद इंटरनेट ब्राउजिंग को आसान बनाना है। साथ विडियो देखने के लिए इसमें वाइड स्क्रीन है।




एचटीसी टच डायमंड

ताइवान की कंपनी एचटीसी भारत मे टचस्क्रीन फोन लॉन्च करने वाली पहली कंपनी थी। टच के साथ एचटीसी ने आधिकारिक रूप से भारत में टचस्क्रीन फोन सेगमेंट में प्रवेश किया। टच डायमंड कंपनी का भारत में लॉन्च किया जाने वाला चौथा टचस्क्रीन (जीएसएम) है। इससे पहले कंपनी एचटीसी, एचटीसी ड्यूल और एचटीसी क्रूज पेश कर चुकी है।

इसके फीचर्स में 2.8 इंच का वीजीए टचस्क्रीन डिस्प्ले. 3.2 मेगापिक्सल कैमरा, विडियो कॉलिंग क्षमता आदि शामिल हैं। इसके अलावा इसमें 4जीबी का इंटरनल स्टोरेज, 256एमबी का प्लैश और 192एमबी का रैम है। अन्य फीचर्स में ब्लूटूथ, इंटिग्रेटेड जीपीएस और वाई-फाई शामिल हैं।




Asus P320

जो लोग स्टाइल पर खास ध्यान रखते हैं, उनके लिए ताइवानी कंपनी Asus ने भारतीय बाजार में टचस्क्रीन पीडीए लॉन्च किया है। यह टचस्क्रीन फोन में पिंक और मोती कलर के शेड है।

P320 में जीपीएस नेविगेशन, इंटरनेट एक्सेस के लिए वाई-फाई और ब्लूटूथ और यूएसबी कनेक्टिविटी भी है। अन्य प्रमुख फीचर्स में 2.6 इंच का टीएफटी टचस्क्रीन, 240x320 पिक्सल रिजॉल्यूशन, 2 मेगापिक्स्ल कैमरा आदि शामिल हैं। इस फोन की कीमत तकरीबन 12,900 रुपये है।




सैमसंग TouchWIZ F480 सैमसंग TouchWIZ F480

टचस्क्रीन फोन की कैटिगरी में सैमसंग का एक और मॉडल TouchWIZ F480 भी काफी सुर्खियों में है। इस फोन को हाल में ही भारत में लॉन्च किया गया है। इसका स्क्रीन 2.8 इंच का है, जिसका रिजॉल्यूशन 240x320 है। साथ इस फोन में एफएम रेडियो, मल्टी फॉर्मेट विडियो प्लेबैक भी मौजूद हैं।

इस फोन में 5 मेगापिक्सल का फ्लैश कैमरा है। साथ ही इसमें 240 एमबी का इंटरनल मेमरी भी है, जिसे बढ़ाकर 8जीबी तक किया जा सकता है। इसकी कीमत तकरीबन 20,990 रुपये है।




एलजी 1000


यह टचस्क्रीन फोन सीडीएमए फोन इस्तेमाल करने वालों के लिए है। एलजी 1000 सीडीएमए रिलायंस के नेटवर्क पर उपलब्ध है। यह दिखने में नोकिया के कम्यूनिकेटर जैसा है। इसका एलसीडी 2.8 इंच का है।

इस फोन के प्रमुख फीर्चस में मीडिया प्लेयर, 2 मेगापिक्सल कैमरा (साथ में विडियो रिकॉर्डर), 8 जीबी तक की एक्सपैंडेल मेमरी आदि है। इसकी कीमत 22,000 से 25,000 के बीच है।




एचटीसी P3000

सीडीएमए फोन का इस्तेमाल करने वालों के लिए टचस्क्रीन का एक और विकल्प एचटीसी पी3000 के रूप में उपलब्ध है। रिलायंस नेटवर्क पर उपलब्ध यह टचस्क्रीन फोन स्लीक और स्टाइलिश है। इसका वजह महज 130 ग्राम है।

यह टचसक्रीन फोन रिलायंस की सीडीएमए 1X टेक्नॉलजी से लैस है, जो 144 केबीपीएस तक की मोबाइल इंटरनेट स्पीड मुहैया कराता है। इसमें 2 मेगापिक्सल कैमरा के अलावा 64 एमबी का रैम, ब्लूटूथ आदि भी मौजूद है।


एक गिलहरी: अपने नन्हें मुन्ने बच्चों के साथ

एक गिलहरी: अपने नन्हें मुन्ने बच्चों के साथ.




यह मात्र संयोग ही है कि आप ये तस्वीरें देख पा रहे हैं इनमें एक गिलहरी अपने नन्हे मुन्ने बच्चों के साथ दिख रही है. यकीन करें ये तस्वीरें कहीं और किसी साईट से नहीं ली गईं (दिन: 01.09.2008, समय: 8 बजे) गिलहरी ने ये घोंसला एक खिड़की के शीशे के पीछे ग्रिल के साथ बना लिया है जो कि घर के लोगों को इसलिए मालूम नहीं चला क्योंकि खिड़की पर कई दिनों से पर्दा पड़ा था.

हिन्दी में सोचना और लिखना स्वाभाविक है, प्रयास तो कीजिये

हिन्दी में सोचना और लिखना स्वाभाविक है, प्रयास तो कीजिये





यहाँ कुछ टिप्पणियाँ व निर्देशों का हिन्दी रूपांतर दिया जा रहा है. आप इन्हें अपनी दिन- प्रतिदिन के कार्यालयी कार्यों में प्रयोग कर सकते हैं. फ़िर ध्यान दें कि हिन्दी में सोचना और लिखना स्वाभाविक है, प्रयास तो कीजिये.
इन टिप्पणियाँ व निर्देशों को स्वयं संकलित किया गया है व फोटो के रूप में यहाँ दिया गया है. यदि किसी को किंचित कारणों से इन पर आपत्ति हो तो इन्हें ग़लत व मिटा हुआ मानें. ऐसा होना मात्र एक संयोग ही है व ब्लोगर का इससे कोई लेना- देना नहीं है. ब्लोगर इसके लिए क्षमा प्रार्थी है.

कैमरा खरीदने के स्मार्ट टिप्स

कैमरा खरीदने के स्मार्ट टिप्स
क्या आप कैमरा खरीदने के बारे में सोच रहे हैं और बाजार में मौजूद इसकी कई वैराइटी की वजह से इस बारे में फैसला नहीं कर पा रहे हैं? इसके अलावा कई बार लोगों को यह भी पता नहीं होता कि एक कैमरे में कौन-कौन से फीचर्स का होना जरूरी है।

अगर आप कैमरा खरीदने की सोच रहे हैं, यहां पेश हैं कुछ स्मार्ट
टिप्स:



क्या ब्रैंड मायने रखता है?
जहां तक डिजिटल कैमरों की बात है, इसमें ब्रैंड खासा अहम होता है। कैमरे के इमेज की क्वॉलिटी मुख्य तौर पर 3 चीजों पर निर्भर करती है- क्वॉलिटी ऑफ लेंस, इमेज सेंसर की क्वॉलिटी और साइज और इमेज प्रोसेसिंग सर्किटरी।

अगर आप ब्रैंडेड कैमरा खरीदते हैं तो यह आपके लिए ज्यादा बेहतर होगा। ब्रैंडेड कैमरों में कैनन और निकॉन आजकल खासे लोकप्रिय हैं। दोनों की इमेजिंग क्वॉलिटी भी काफी अच्छी है।
मेगापिक्सल का मायाजाल

आजकल कैमरों के विज्ञापन में मेगापिक्सल के बारे में जोर-शोर से बताया जाता है। मेगापिक्सल के बारे में मिथ सुनने को मिलता है, इसका संबंध पिक्चर क्वॉलिटी से है, लेकिन हकीकत यह है कि इसका इमेज क्वॉलिटी से कोई लेना देना नहीं है।

इसके उलट अगर छोटे इमेज सेंसर में ज्यादा मेगापिक्सल ठूंसा जाए तो पिक्चर क्वॉलिटी पर बुरा असर पड़ता है।

फीचर्स चेक करें
कैमरा खरीदने से इन फीर्चस पर गौर करना जरूरी है। इनमें ऑप्टिकल जूम ( जितना ज्यादा, उतना बेहतर), एलसीडी (साइज, क्वॉलिटी), विडियो रिकॉर्डिंग (वीजीए क्वॉलिटी कम से कम @ 30 एफपीएस) और ऑप्टिकल व्यूफाइंडर (तेज धूप में फोटो फ्रेम में उपयोगी) जैसे फीचर्स शामिल हैं।

इसके अलावा बैटरी की टाइप की और एक्सेसरीज (लेंस, फ्लैश, रिमोट) आदि की जांच-परख भी जरूरी है।
कैसे पता करें बैटरी की क्वॉलिटी
रिचार्जेबल बैटरी वाली कैटिगरी बेहतरी हो सकती है, लेकिन अगर आप ट्रैवल कर रहे हैं तो फिर आपको इसे रिचार्ज करने में काफी मुश्किल पेश आ सकती है। अगर आप इससे बचना चाहते हैं तो आप ऐसे कैमरे का इस्तेमाल कर सकते हैं जिसमें स्टैंडर्ड एए साइज बैटरी लगती है।




क्या
बला है प्रोज्यूमर कैमरा?
प्रोज्यूमर कैमरा बेसिक प्वॉइंट एंड शूट और डिजिटल एसएलआर के बीच की कैटिगरी है। इसमें अडवांस यूजर के लिए जरूरी सभी फीचर्स मसलन फुल मैन्युअल कंट्रोल, हाई ऑप्टिकल जूम, इमेज स्टैबलाइजेशन, हाई क्वॉलिटी विडियो आदि उपलब्ध होते हैं।

हालांकि इनकी कीमत थोड़ी ज्यादा होती है और ये बेसिक कैमरे से बड़े होते हैं।

सुरक्षित इन्टरनेट बैंकिंग टिप्स: महत्वपूर्ण

सुरक्षित इन्टरनेट बैंकिंग टिप्स: महत्वपूर्ण


कॉम्पलेक्स है तो सही है

क्या आपने कभी ऑनलाइन मनी ट्रांसफर किया है? कई बैंकों ने ऑनलाइन ट्रांजेक्शन को काफी कॉम्पलेक्स बना रखा है। यह थोड़ी देर की सिरदर्दी भले ही लगे मगर यह काफी हद तक सेफ है।

जैसे फंड ट्रांसफर करने के लिए दिए गए ऑप्शन को क्लिक करने के बाद बैंक की साइट तुरंत फंड ट्रांसफर की रिक्वेस्ट नहीं मानत, बल्कि कई सवाल आपसे पूछती है। दूसरे, बड़ी रकम संबंधी रिक्वेस्ट पर आपको CAPTCHA पढ़ने के लिए कहा जाता है। कुछ साइट्स स्क्रीन पर पेश कीबोर्ड का प्रयोग करने का ऑप्शन भी रखती हैं जोकि रेग्युलर कीबोर्ड यूज करने से ज्यादा सेफ होता है।


मोर सवाल, मोर सेफ्टी

कई बार आपसे पासवर्ड के अलावा आपकी मां का विवाहपूर्व नाम, आपकी जन्मतिथि, एड्रेस पिनकोड जैसी माइन्यूट चीजें भी पूछ ली जाती हैं। 10 से 20 मिनट की यह एक्सरसाइज झल्लाहट भरी भले ही लगे मगर यह फंड सेफ्टी के लिए यह बिग डील नहीं। हैं ना?


दरअसल, ऑनलाइन मनी ट्रांसफर को ज्यादा से ज्यादा सेफ बनाने के लिए ही कंपनियां ज्यादा से ज्यादा कॉम्पलेक्स मोड रख रही हैं। इसके अलावा...


यूज स्मार्ट कार्ड!

कई बैंक कस्टमर्स को अलगोरिथम बेस्ड स्मार्ट कार्ड मुहैया करवाती हैं। साइट पर लॉग इन के बाद इस स्मार्ट कार्ड पर लिखे 7 से 8 डिजिट के सेट को पासवर्ड के अलावा टाइप करना होगा। इसकी खासियत यह है कि यह डिजिट हर 30 सेकेंड में बदल जाता है। और, कुल 18 सालों तक यह पुराने वाले डिजिट से मैच नहीं करेगा।

बैंक के पास इस सीक्रेट डिजिट को अपने सिस्टम से टेली करने की सुविधा होती है। सही टेली होने के बाद ही आपका ऑनलाइन अकाइंट ओपन होगा। भारत में बजाज कैपिटल ने कस्टमर्स को स्मार्ट कार्ड देने शुरू किए हैं।


यूजर बिहेवियर

हैकर्स से बचने के लिए एक तरीका यह भी रामबाण हो सकता है कि यूजर के बिहेवियर का ट्रेक रिकॉर्ड रखा जाए और उसी के अनुसार, एक्शन लिया जाए। जैसे, कंप्यूटर का IP एड्रेस साइट 'नोट'कर ले। जिस ब्राउजर को आप यूज करते हैं और यहां तक कि जिस मॉनीटर को ईप यूज करते हैं, वह भी बैंक 'याद'कर ले तो यह एक फुल प्रूफ सिक्योरिटी हो सकती है। जब भी किसी बैंकिंग साईट पर जाएँ तो एड्रेस बार में बना ताले का निशान अवश्य ही देख लें. इससे पता चलता है कि यह साईट सेफ व सिक्योर है.



रकम हो कम तो

यदि लंपसम का ट्राजेक्शन नहीं कर रहे हैं और छोटी मोटी रकम की ही बात है तो बैंकिंग साइट आपसे 'सेट ऑफ क्वेश्चंस' पूछेगी जिनके सही-सही जवाब केवल आप ही दे सकेंगे। यह करेक्ट होंगे तो ही आप ऑनलाइन बैंकिग कर पाएंगे।

VeriSign के वीपी फॉर सेल्स राजीव चढ्डा कहते हैं कि मंहगा होने के बावजूद बैंक यूचर बिहेवियर नोटिस कर रही हैं और इससे कस्टमर्स में बैंक को ले कर विश्वास बढ़ा है।


फर्जी कोड्स हैं खतरा

बैंक साइट फर्जी कोड्स बना कर हैक करने वालों की चाल को नाकामयाब करने के लिए फिलहाल रास्ता तलाश रही हैं। यह कोड दिनोंदिन बढ़ते जा रहे हैं। सिमंटेक इंडिया के एमडी विशाल धूपर के अनुसार, वे इससे निपटने के लिए रेप्युटेशन बेस्ड सिक्योरिटी सिस्टम तैयार कर रही हैं।



सुरक्षा के सॉफ्टेवयर
बैंक व्हाइट लिस्ट नामक डाटाबेस सिस्टम को भी यूज कर रही हैं जो कि पोपुलर यानी जाने पहचाने और सही चीजों को आइडेंटिफाइ करता है।


दूसरा है रेप्युटेशन बेस्ड रेटिंग सॉफ्टवेयर जो कि कम पोपुलर और सही सूचनाओं व फर्जी सूचनाओं को तरीके से केटेगराइज कर देता है। सिमंटेक इसका प्रयोग कर रहा है और यह अनसेफ और फर्जी सूचनाओं को जांचने और हैकर्स से बचने के लिए काम का भी साबित हो रहा है।


साइबर क्राइम
बढ़ते साइबर क्राइम के चलते सिक्योरिटी सिस्टम्स को बेहतरीन करने की कोशिश बैंकों की ओर से की जा रही है। पहले है्कर्स फन के लिए हैक करते थे, अब यह बाकायदा पैसे के लिए किया जाता है। सरकार के साइबर सिकयोरिटी एडवायजरी बोर्ड के मेंबर विजय मुखी कहते हैं, पुलिस और बैंकों को इस बाबत सामने आना होगा और पॉलिसीज बनानी होंगी।चोरी के मामले दर्ज हों और चोरों को पकड़ कर सजा भी दी जाए।

सुरक्षा है जरूरी

महिंद्रा स्पेशल सर्विसेस ग्रुप के सीईओ कैप्टन रघु रमन कहते हैं कि भारत में फाइनांसिअल इंस्टीट्यूट अब सुरक्षा की जरूरत को पहचान रही हैं। इसीलिए, स्मार्ट कार्ड आदि का चलन आरंभ हुआ है।

हालांकि हैकर्स के इन सिक्योरिटी सिस्टम को भी तोड़ डालने का अंदेशा हमेशा ही बना हुआ है, मगर तब तक सिक्योरिटी फुलप्रूफ तो रखी ही जाए।



सोनी का XPERIA X1 लांच

सोनी का XPERIA X1 लांच

सोनी एरिक्सन ने भारत में XPERIA X1 ब्रांड का फोन लॉन्च कर दिया है। इस फोन का काफी समय से इंतजार किया जा रहा था। सोनी एरिक्सन भारत को अपने सबसे महत्वपूर्ण तीन मार्केट में से एक मानती है।












कई देशों से पहले लॉन्च
भारत वैसे भी दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता टेलिकॉम बाजार है। यही वजह है कि XPERIA X1 का लॉन्च यहां कई और देशों से पहले किया गया है।








3 इंच चौड़ा VGA डिसप्ले

XPERIA X1 ब्रांड दरअसल XPERIA सिरीज का पहला फोन है। इस फोन में 3 इंच चौड़ा VGA डिसप्ले हैं और इसका की-बोर्ड क्वार्टी (कंप्यूटर की बोर्ड की तरह) है। बॉडी मेटल फिनिश है।












इसमें है Windows Mobile 6.1
इस फोन में Windows Mobile 6.1 ऑपरेटिंग सिस्टम है, जिसे 9 पैनल में डिवाइड किया गया है। इसे आप अपनी पसंद के हिसाब से सेट कर सकते हैं। इसकी वजह से आपके लिए अपनी पसंद की वेबसाइट या एप्लिकेशन तक पहुंचना आसान रहेगा।




















कीमत 44,500 रुपए

इस फोन की कीमत 44,500 रुपए रखी गई है। जाहिर है ये फोन हर किसी के लिए नहीं है।


















फोन नहीं स्टाइल स्टेटमेंट

कंपनी इसे स्टाइल स्टेटमेंट की तरह प्रमोट कर रही है। इस फोन को वो लोग खरीदेंगे जो किसी बेहतरीन कनवर्जेंस डिवाइस की तलाश में हैं। XPERIA X1 बड़े शहरों को चुने हुए स्टोर्स में मिलेगा।

क्या आपका विंडोज XP स्लो है?

क्या आपका विंडोज XP स्लो है?


माइक्रोसॉफ्ट अपना नया ऑपरेटिंग सिस्टम 'विंडोज 7' नाम से मार्केट में लाने जा रही है। यह ऑपरेटिंग सिस्टम 2010 में बाजार में आएगा। पर फिलहाल क्या आप अपने पर्सनल कंप्यूटर या लैपटैप में विंडोज XP ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल कर रहे हैं और इसकी स्पीड और परफॉर्मेंस से खुश नहीं हैं? आप अपने विंडोज XP की स्पीड और परफॉर्मेंस सुधार सकते हैं...





हार्ड ड्राइव को डीफ्रेगमेंट करें
विंडोज XP की स्पीड बढ़ाने का सबसे आसान तरीका यह है कि आप अपने कंप्यूटर की हार्ड ड्राइव को समय-समय पर डीफ्रेगमेंट करते रहें। हफ्ते में कम से कम एक बार डीफ्रेगमेंटेशन से विंडोज XP की स्पीड अच्छी रहती है। डीफ्रेगमेंटेशन के जरिये कंप्यूटर में अलग-अलग जगहों पर बिखरे पड़े डेटा हार्ड ड्राइव में एक साथ जमा हो जाते हैं। सारे डेटा और फाइल के एक साथ व्यवस्थित होने से आपको फाइल सर्च में काफी कम वक्त लगता है और जाहिर तौर पर ऑपरेटिंग सिस्टम की स्पीड बढ़ जाती है।

हार्ड ड्राइव को डीफ्रेंगमेंट करने के लिए सबसे पहले प्रोग्राम ऑप्शन में जाएं। उसके बाद एक्सेसरीज में जाएं। फिर सिस्टम फाइल को क्लिक करें। फिर सिस्टम डीफ्रेगमेंटर को क्लिक कर इस ऐप्लिकेशन को चला लें।




विंडोज इंडेक्स सर्विस को डिसएबल कर दें

फाइल सर्च प्रोसेस को तेज बनाने के लिए विंडोज एक्सपी में फाइलें बाइ डिफॉल्ट लोकल और नेटवर्क ड्राइव्स में डाल दी जाती हैं। हालांकि इससे कंप्यूटर की स्पीड कम हो जाती है। यदि आप इस सर्विस का इस्तेमाल ज्यादा नहीं करते हैं, तो बेहतर होगा कि आप इस सर्विस को डिसएबल कर दें।

इस सर्विस को डिसएबल करने के लिए आप पहले कंट्रोल पैनल में जाएं। इसके बाद एडमिनिस्ट्रेटिव टूल्स को क्लिक करें और फिर सर्विसेज को क्लिक करें। इसके बाद 'स्टॉप विंडोज इंडेक्स सर्विस' वाले ऑप्शन को क्लिक करें।




गैर-जरूरी फॉन्ट हटा दें
यदि आपने काफी फॉन्ट इन्स्टॉल कर लिए हैं, तो XP लोड करते वक्त काफी दिक्कतें होती होंगी या फिर ज्यादा वक्त लगता होगा। विंडोज XP का बूट-अप टाइम बढ़ना इसकी वजह यह है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हर फॉन्ट को रेंडर करने में वक्त लगता है। लिहाजा अच्छा यह होगा कि आप इस ऑपरेटिंग सिस्टम से गैर-जरूरी फॉन्ट को हटा दें।


गैर-जरूरी फॉन्ट को हटाने के लिए विंडोज XP फॉन्ट कंट्रोल पैनल में जाकर अनयूज्ड फॉन्ट को हटा दें। जिन फॉन्ट्स को हटाना है, उसे सेलेक्ट कर डिलिट कर दें।





XP पावर टॉयज का इस्तेमाल करें

क्या आप अपने विंडोज को एक्स्ट्रा पावर देना चाहते हैं? इसके लिए आप अपने विंडोज एक्सपी में कुछ पावर टॉयज को ऐड कर लें। कुछ इंटरेस्टिंग पावर टॉयज हैं - सिंकटॉय, क्लियरटाइप ट्यूनर, वर्चुअल डेस्कटॉप मैनेजर, ऑल्ट-टैब रिप्लेसमेंट, ट्विक यूआई, वेबकैम टिम्बरशॉट और सीडी स्लाइडशो जेनरेटर। मिसाल के तौर पर सिंक टॉय की मदद से यूजर डिजिटल कैमरा, सेल फोन, पोर्टेबल मीडिया प्लेयर, कैमकॉर्डर और पीडीए आदि से फाइलों को काफी जल्द कॉपी और मूव कर सकता है।





अनचाहा स्टार्ट-अप प्रोग्राम हटा लें
सबसे पहले आप उन प्रोग्राम्स को हटा लें, जिन्हें शुरू करने की जरूरत आप नहीं समझते। समय के साथ आपके सिस्टम में कई ऐसे प्रोग्राम खुद-ब-खुद इन्स्टॉल हो जाते हैं, जिनकी वजह से सिस्टम की स्पीड स्लो हो जाती है। जैसे ही आप अपने सिस्टम को बूट-अप करते हैं, ये प्रोग्राम खुद-ब-खुद रन करने लगते हैं। लिहाजा ऐसे प्रोग्राम को फौरन हटा दें, क्योंकि ये स्पीड घटाने के साथ-साथ सिस्टम की मेमरी भी कंज्यूम करते हैं।



डिस्क क्लिन-अप

डिस्क क्लिन अप के जरिये टेंपररी इंटरनेट फाइल, डाउनलोडेड प्रोग्राम फाइल, रिसाइकल बिन में पड़ी फाइलें, विंडोज टेंपररी फाइल समेत कई गैर-जरूरी फाइलें हटाई जाती हैं। ये ऐसी फाइलें होती हैं, जो किसी काम की नहीं होतीं, पर हार्ड ड्राइव में जगह भी घेरकर रखती हैं।