कॉम्पलेक्स है तो सही है
क्या आपने कभी ऑनलाइन मनी ट्रांसफर किया है? कई बैंकों ने ऑनलाइन ट्रांजेक्शन को काफी कॉम्पलेक्स बना रखा है। यह थोड़ी देर की सिरदर्दी भले ही लगे मगर यह काफी हद तक सेफ है।
जैसे फंड ट्रांसफर करने के लिए दिए गए ऑप्शन को क्लिक करने के बाद बैंक की साइट तुरंत फंड ट्रांसफर की रिक्वेस्ट नहीं मानत, बल्कि कई सवाल आपसे पूछती है। दूसरे, बड़ी रकम संबंधी रिक्वेस्ट पर आपको CAPTCHA पढ़ने के लिए कहा जाता है। कुछ साइट्स स्क्रीन पर पेश कीबोर्ड का प्रयोग करने का ऑप्शन भी रखती हैं जोकि रेग्युलर कीबोर्ड यूज करने से ज्यादा सेफ होता है।
मोर सवाल, मोर सेफ्टी
दरअसल, ऑनलाइन मनी ट्रांसफर को ज्यादा से ज्यादा सेफ बनाने के लिए ही कंपनियां ज्यादा से ज्यादा कॉम्पलेक्स मोड रख रही हैं। इसके अलावा...
कई बैंक कस्टमर्स को अलगोरिथम बेस्ड स्मार्ट कार्ड मुहैया करवाती हैं। साइट पर लॉग इन के बाद इस स्मार्ट कार्ड पर लिखे 7 से 8 डिजिट के सेट को पासवर्ड के अलावा टाइप करना होगा। इसकी खासियत यह है कि यह डिजिट हर 30 सेकेंड में बदल जाता है। और, कुल 18 सालों तक यह पुराने वाले डिजिट से मैच नहीं करेगा।
बैंक के पास इस सीक्रेट डिजिट को अपने सिस्टम से टेली करने की सुविधा होती है। सही टेली होने के बाद ही आपका ऑनलाइन अकाइंट ओपन होगा। भारत में बजाज कैपिटल ने कस्टमर्स को स्मार्ट कार्ड देने शुरू किए हैं।
यूजर बिहेवियर
हैकर्स से बचने के लिए एक तरीका यह भी रामबाण हो सकता है कि यूजर के बिहेवियर का ट्रेक रिकॉर्ड रखा जाए और उसी के अनुसार, एक्शन लिया जाए। जैसे, कंप्यूटर का IP एड्रेस साइट 'नोट'कर ले। जिस ब्राउजर को आप यूज करते हैं और यहां तक कि जिस मॉनीटर को ईप यूज करते हैं, वह भी बैंक 'याद'कर ले तो यह एक फुल प्रूफ सिक्योरिटी हो सकती है। जब भी किसी बैंकिंग साईट पर जाएँ तो एड्रेस बार में बना ताले का निशान अवश्य ही देख लें. इससे पता चलता है कि यह साईट सेफ व सिक्योर है.
रकम हो कम तो
यदि लंपसम का ट्राजेक्शन नहीं कर रहे हैं और छोटी मोटी रकम की ही बात है तो बैंकिंग साइट आपसे 'सेट ऑफ क्वेश्चंस' पूछेगी जिनके सही-सही जवाब केवल आप ही दे सकेंगे। यह करेक्ट होंगे तो ही आप ऑनलाइन बैंकिग कर पाएंगे।
VeriSign के वीपी फॉर सेल्स राजीव चढ्डा कहते हैं कि मंहगा होने के बावजूद बैंक यूचर बिहेवियर नोटिस कर रही हैं और इससे कस्टमर्स में बैंक को ले कर विश्वास बढ़ा है।
फर्जी कोड्स हैं खतरा
सुरक्षा के सॉफ्टेवयर
दूसरा है रेप्युटेशन बेस्ड रेटिंग सॉफ्टवेयर जो कि कम पोपुलर और सही सूचनाओं व फर्जी सूचनाओं को तरीके से केटेगराइज कर देता है। सिमंटेक इसका प्रयोग कर रहा है और यह अनसेफ और फर्जी सूचनाओं को जांचने और हैकर्स से बचने के लिए काम का भी साबित हो रहा है।
साइबर क्राइम
सुरक्षा है जरूरी
महिंद्रा स्पेशल सर्विसेस ग्रुप के सीईओ कैप्टन रघु रमन कहते हैं कि भारत में फाइनांसिअल इंस्टीट्यूट अब सुरक्षा की जरूरत को पहचान रही हैं। इसीलिए, स्मार्ट कार्ड आदि का चलन आरंभ हुआ है।
हालांकि हैकर्स के इन सिक्योरिटी सिस्टम को भी तोड़ डालने का अंदेशा हमेशा ही बना हुआ है, मगर तब तक सिक्योरिटी फुलप्रूफ तो रखी ही जाए।
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